The Great Gorila - 1 in Hindi Children Stories by Ravi Bhanushali books and stories PDF | The Great Gorila - 1

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The Great Gorila - 1

घने जंगल के हृदय में, जहाँ सूरज की रोशनी भी डरते-डरते ज़मीन तक पहुँचती थी, वहाँ एक ऐसा प्राणी रहता था जिसकी कहानी पीढ़ियों से सुनी जाती थी। उसे किसी ने नाम नहीं दिया था, फिर भी हर जीव उसे जानता था। वह था — द ग्रेट गोरिल्ला।
उसका शरीर किसी पहाड़ जैसा विशाल था। उसके कंधे इतने चौड़े कि उन पर पूरा आसमान टिक सकता था। उसकी आँखें गहरी थीं, जैसे समय के कुएँ, जिनमें बीते हुए युगों की परछाइयाँ तैरती रहती थीं। लेकिन उसकी असली पहचान उसकी ताकत नहीं थी, बल्कि वह खामोशी थी जो उसके चारों ओर रहती थी।
कभी यह जंगल हँसी से भरा रहता था। गोरिल्ला अपने झुंड के साथ रहता था। सुबह होते ही पेड़ों पर कूदते बंदर, उड़ते पक्षी और बहती नदी का संगीत जंगल को जगा देता था। उसकी माँ उसे सिखाती थी कि कौन-सा फल मीठा है और कौन-सी जड़ ज़हरीली। उसका छोटा भाई उसकी पीठ पकड़कर दूर-दूर तक जंगल देखा करता था। उन दिनों द ग्रेट गोरिल्ला भी हँसता था, खेलता था, ज़ोर-ज़ोर से दहाड़ता था — जीवन से भरा हुआ।
लेकिन जंगल को इंसानों की नज़र लग गई।
एक दिन मशीनों की आवाज़ आई। पेड़ गिरने लगे। धरती काँपने लगी। फिर आग लगी — ऐसी आग जिसने आसमान को काला कर दिया। धुआँ इतना घना था कि साँस लेना मुश्किल हो गया। जानवर इधर-उधर भागने लगे। गोरिल्ला ने अपनी माँ को ढूँढा, भाई को पुकारा, लेकिन हर तरफ़ आग और चीखें थीं।
उसने अपनी माँ को आख़िरी बार धुएँ में खोते देखा। छोटे भाई की आवाज़ सुनाई दी, फिर अचानक सब कुछ शांत हो गया। जब आग बुझी, तो जंगल राख में बदल चुका था। झुंड खत्म हो चुका था। उस दिन जंगल के साथ-साथ द ग्रेट गोरिल्ला के भीतर भी कुछ जलकर राख हो गया।
उसने जंगल छोड़ दिया।
वह पहाड़ों में चला गया, जहाँ चट्टानें थीं और सन्नाटा। वहाँ उसने वर्षों अकेले बिताए। उसने अपनी ताकत को रोष में नहीं, सहनशीलता में बदला। हर दिन वह खुद से लड़ता था — उस क्रोध से, उस पीड़ा से, जो उसे इंसानों से नफ़रत करना सिखा सकती थी। लेकिन उसने नफ़रत को चुना नहीं। उसने जिम्मेदारी को चुना।
साल बीत गए।
जंगल के किनारे एक छोटा सा मानव गाँव बस गया। लोग रात में अजीब आवाज़ें सुनते — भारी कदमों की, पेड़ों के हिलने की। बुज़ुर्ग आग के पास बैठकर कहते, “जंगल में एक राक्षस रहता है।” बच्चे डरकर माँ के पास सिमट जाते। किसी ने कभी उसे देखा नहीं था, लेकिन डर सबके मन में था।
एक रात भयानक तूफ़ान आया। बारिश ऐसी बरसी मानो आसमान टूट पड़ा हो। नदी उफनने लगी। गाँव को जोड़ने वाला पुराना पुल बह गया। उसी पार कुछ बच्चे खेलते-खेलते फँस गए। पानी बढ़ता जा रहा था। लोग चिल्ला रहे थे, लेकिन कोई रास्ता नहीं था।
तभी जंगल से वही भारी कदमों की आवाज़ आई।
लोगों के दिल बैठ गए। मशालें जलाई गईं। बारिश के बीच एक विशाल आकृति उभरी। उसकी परछाईं पूरे किनारे पर फैल गई। द ग्रेट गोरिल्ला सामने खड़ा था — भीगा हुआ, शांत, अडिग।
कुछ लोग पीछे हटे, कुछ ने पत्थर उठाए। डर और अविश्वास हवा में तैर रहा था।
गोरिल्ला ने किसी की ओर नहीं देखा। उसकी नज़र नदी पर थी — और उन बच्चों पर, जो डर से रो रहे थे। बिना एक पल गँवाए वह पानी में उतर गया। तेज़ धारा उसके विशाल शरीर से टकराकर टूटने लगी। वह नदी के बीच तक गया, बच्चों को एक-एक कर उठाया और अपने कंधों पर बैठाकर सुरक्षित किनारे पहुँचा दिया।
एक बच्चा काँप रहा था। गोरिल्ला ने धीरे से अपनी उँगली से उसके गाल पर लिपटे आँसू हटा दिए। उस स्पर्श में कोई हिंसा नहीं थी, केवल सुरक्षा थी।
गाँव के लोग स्तब्ध रह गए। जिस राक्षस से वे डरते थे, वही उनका रक्षक निकला।
उस रात के बाद गाँव बदल गया।
लेकिन असली परीक्षा अभी बाकी थी।
कुछ हफ्तों बाद जंगल में फिर मशीनें आईं। इस बार और ज़्यादा, और ज़्यादा शोर के साथ। कंपनियाँ आई थीं जंगल को काटने, ज़मीन खोदने। पेड़ गिरने लगे। जानवर भागने लगे। जंगल फिर कराह उठा।
द ग्रेट गोरिल्ला सामने आया। उसने मशीनों के आगे खड़े होकर ज़ोर से दहाड़ मारी। यह दहाड़ डराने के लिए नहीं थी, यह चेतावनी थी।
एक आदमी ने बंदूक उठाई। उसकी उँगली ट्रिगर पर थी।
तभी गाँव के लोग बीच में आ गए। वही लोग जो कभी डरते थे। उन्होंने कहा, “रुको। यह जंगल का रक्षक है। अगर इसे मारा, तो जंगल मरेगा… और उसके साथ हम भी।”
लंबा सन्नाटा छा गया।
अंततः मशीनें बंद हुईं। खबर फैली। जंगल को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया। इंसान पीछे हट गए।
द ग्रेट गोरिल्ला ने आख़िरी बार गाँव की ओर देखा। उसकी आँखों में अब दर्द नहीं था, केवल शांति थी। वह बिना कोई आवाज़ किए जंगल की गहराई में लौट गया।
समय बीतता गया।
जंगल फिर हरा होने लगा। नए पेड़ उगे। जानवर लौट आए। और रात को अब भी भारी कदमों की आवाज़ आती थी, लेकिन अब वह डर की नहीं, भरोसे की आवाज़ थी।
लोग जानते थे — जंगल में कोई राक्षस नहीं रहता।
वहाँ द ग्रेट गोरिल्ला रहता है।